Apple iPhone Manufacturing India: Apple अपनी ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग रणनीति में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2026 तक अमेरिका में बिकने वाले अधिकांश iPhones का निर्माण भारत में किया जाएगा। इस फैसले के पीछे चीन पर निर्भरता कम करना, सप्लाई चेन को सुरक्षित बनाना और जियोपॉलिटिकल जोखिम घटाना मुख्य कारण हैं।
भारत की मजबूत वर्कफोर्स, सरकार की PLI योजना और तेजी से विकसित होता मैन्युफैक्चरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर Apple को आकर्षित कर रहा है। इससे भारत में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, टेक्नोलॉजी स्किल्स में सुधार होगा और Make in India अभियान को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिलेगी।
चीन से दूरी बनाने की वजह
Apple लंबे समय से चीन पर अत्यधिक निर्भर रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में यह निर्भरता उसके लिए चुनौती बन गई है। अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर, कोविड के दौरान फैक्ट्रियों का बंद होना और बढ़ते लेबर कॉस्ट ने Apple की सप्लाई चेन को प्रभावित किया। इन परिस्थितियों में Apple ने फैसला किया कि मैन्युफैक्चरिंग को केवल एक देश तक सीमित रखना भविष्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
क्यों भारत बन रहा है Apple की पहली पसंद?
भारत कई वजहों से Apple के लिए आकर्षक बनता जा रहा है। यहां बड़ी संख्या में कुशल और अर्ध-कुशल वर्कफोर्स उपलब्ध है। इसके अलावा भारत सरकार की Production Linked Incentive (PLI) योजना ने विदेशी कंपनियों को लोकल मैन्युफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहित किया है।
भारत में तेजी से विकसित हो रहा मैन्युफैक्चरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, बेहतर लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन नेटवर्क Apple को चीन के विकल्प के रूप में भारत को अपनाने में मदद कर रहा है। यही कारण है कि अब Apple भारत में सिर्फ पुराने मॉडल ही नहीं, बल्कि नए iPhone मॉडल्स का भी निर्माण करवा रहा है।

भारत में कौन बना रहा है iPhone?
फिलहाल Apple भारत में अपने iPhones का निर्माण Foxconn, Pegatron और Tata Group जैसी कंपनियों के माध्यम से करवा रहा है। Tata Group ने हाल ही में Wistron के भारतीय ऑपरेशंस को अपने अधीन लिया है, जिससे Apple और भारत के बीच सहयोग और मजबूत हुआ है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत में iPhone प्रोडक्शन में तेजी से वृद्धि हुई है। आज भारत में बने iPhones न केवल घरेलू बाजार के लिए बल्कि अमेरिका और अन्य देशों में भी एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं।
क्या iPhone होंगे सस्ते?
भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या iPhones की कीमतें कम होंगी। लोकल प्रोडक्शन से इंपोर्ट ड्यूटी में कमी आ सकती है और लॉजिस्टिक लागत भी घट सकती है। हालांकि, iPhone की कीमतें कई फैक्टर्स पर निर्भर करती हैं, जैसे टैक्स, करेंसी रेट और Apple की प्रीमियम ब्रांड रणनीति।
इसलिए कीमतों में तुरंत बड़ी कटौती की उम्मीद करना सही नहीं होगा, लेकिन लॉन्ग टर्म में भारतीय ग्राहकों को इसका फायदा जरूर मिल सकता है।
अमेरिका और ग्लोबल मार्केट पर असर
अगर अमेरिका में बिकने वाले iPhones भारत में बनते हैं, तो Apple की सप्लाई चेन ज्यादा मजबूत और डाइवर्सिफाइड हो जाएगी। इससे किसी एक देश पर निर्भरता कम होगी और प्रोडक्शन में स्थिरता आएगी। वहीं भारत ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में अपनी पहचान और मजबूत करेगा।
भारत के लिए क्यों है यह फैसला ऐतिहासिक?
Apple का यह कदम भारत के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक है। इससे लाखों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, मैन्युफैक्चरिंग स्किल्स में सुधार होगा और भारत की टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को वैश्विक पहचान मिलेगी। Apple जैसे बड़े ब्रांड का भारत में बड़े पैमाने पर निवेश करना Make in India पहल को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
क्या Apple ने पुष्टि की है?
फिलहाल Apple ने इस योजना को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, इंडस्ट्री रिपोर्ट्स और सप्लाई चेन से जुड़े सूत्र लगातार इस दिशा में मजबूत संकेत दे रहे हैं। आने वाले वर्षों में यह साफ हो जाएगा कि भारत Apple की ग्लोबल रणनीति में कितनी बड़ी भूमिका निभाने वाला है।
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